Wednesday 2 December 2015

श्रम सफलता की कुंजी है । (The key to success is to Labour)



श्रम सफलता की कुंजी है । (The key to success is to Labour) 


एक नवयुवक और कुछ बुजुर्ग लकड़हारे जंगल में पेड़ काट रहे थे । युवक बहुत मेहनती था । वह बिना रुके लगातार काम कर रहा था । बाकी लकड़हारे कुछ देर काम करने के बाद थोड़ी देर सुस्ताते और बात करते थे । यह देखकर युवक को लगता था कि वे समय की बरबादी कर रहे है । जैसे - जैसे दिन बीतता गया, युवक ने यह देखा कि बाकी लकड़हारे उसकी तुलना में अधिक पेड़ काट पा रहे है, जबकि वे बीच - बीच में काम रोक भी देते है ।
 यह देखा युवक ने और अधिक तेजी से काम करना शुरू कर दिया, लेकिन वह अभी भी दूसरो तुलना में कम ही लकड़ी काट पा रहा था । अगले दिन उन बुजुर्ग लकड़हारों ने युवक को काम के बीच में अपने पास चाय पीने के लिए बुलाया । युवक ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि इससे समय व्यर्थ होगा ।
यह सुनकर एक बूढ़े लकड़हारे ने लड़के से मुस्कुरते हुए कहा-
 
 “तुम लंबे समय से अपनी कुल्हाड़ी में धार किए बिना लकड़ी काटने की कोशिश कर रहे हो और तुम्हारी सारी मेहनत बेकार जा रही है । कुछ समय बाद तुम्हारी सारी शक्ति चुक जाएगी और तुम्हें काम बंद करना पड़ेगा ।” 


तब युवक को यह पता चला की आराम के दौरान बाकी लकड़हारे चाय पीने  और गपशप करने के साथ अपनी कुल्हाड़ियों पर भी धार करते है । वे अकलमंद थे और इसी कारण उनकी कुल्हाड़ियाँ बेहतर ढंग से लकड़ी काट पा रही थी। उस बूढ़े लकड़हारे ने युवक को सलाह देते हुए कहा- “हमें अपनी बुध्दि का प्रयोग करके अपने कौशल और क्षमता को बढ़ते रहना चाहिए। तभी हमें अपनी पसंद के दूसरे कार्यों को करने का समय मिल पाएगा।
पर्याप्त विश्राम के बिना कोई भी अपना काम कुशलतापूर्वक नही कर सकता। कुछ समय के लिए काम को रोककर आराम करने से शरीर में शक्ति का संचार होता है और अन्य किसी दृष्टिकोण से अपने कार्य का आकलन करके रणनीति बनाने का अवसर मिलता है।”
इस तरह श्रम तो करना चाहिए, लेकिन उसके साथ ऐसे उपाय करने चाहिए,  जिनसे हमारी कुशलता व क्षमता बढ़े। श्रम तभी कीमती व उपयोगी बनता है, जब उसके साथ कुशलता व अनुभव का योग होता है। काम तो कोई भी कर सकता है, लेकिन कुशल हाथों के माध्यम से किया गया कार्य सुन्दर व सराहनीय होता है। यह कुशलता ऐसे ही हाथों में नही आती, इसके लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है और कार्य के दौरान होने वाली गलतियों को दूर करना पड़ता है। जब यह कार्य लंबे समय तक किया जाता है, तब कहीं जाकर कुशलता की योग्यता अर्जित होती है।
वास्तव में जो व्यक्ति धैर्य के साथ निरीक्षण करने की बुध्दि विकसित कर लेता है, वही अच्छा श्रम कर पाता है । जिस वस्तु को हम मूल्यवान समझते है, उसकी प्राप्ति का रास्ता श्रम है, श्रम के बिना उसकी प्राप्ति असंभव है। यदि महान लोगों का जीवन देखा जाए तो पता चलता है की उन्होंने जिस कार्य को पकड़ा, लगातार उसी को लेकर आगे बढ़ते गए।

अर्थशास्त्र के जनक चाणक्य का कहना है- परिश्रम वह चाबी है, जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है।’


किसी विद्वान ने कहा है की कठिन परीश्रम कीजिए और पसीने का आनंद उठाइए। यह सफलता की गारन्टी तो नहीं देता, लेकिन इसके बिना सफलता का कोई योग ही नहीं है। किसी भी काम को करने में श्रम लगता है, श्रम का मतलब है शक्तियों व क्षमताओं का उपयोग। श्रम के आगे परि’ उपसर्ग लगाने से परिश्रम’ शब्द बनता है। मनुष्य जीवन में श्रम का विशेष महत्व है। जैसे बिना जल, भोजन और वायु के जीवन असंभव है, उसी प्रकार बिना श्रम के जीवन शिथिल हो जाता है। श्रम करने से मनुष्य को अपने जीवन में सार्थकता का एहसास होता है। श्रम के द्वारा ही मनुष्य समृध्द बनता है।
श्रम सफलता की कुंजी है।




सोच बदलेगी तो जीवन बदलेगा(SOCH BADALEGI TO DUNIA BADALEGI)

 



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